कबीर दास जी के दोहे
न्हाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाय
मीन सदा जल में रहै, धोये बास न जाय।।
अर्थ :
कबीरदास जी कहते हैं कि बार-बार नहाने से कुछ नहीं होता अगर मन साफ न हो अर्थात बाहरी उपस्थिति से ज्यादा महत्वपूर्ण है मानव का चरित्र और उसका स्वभाव। उदाहरण के लिए मछली सारी ज़िन्दगी पानी में रहती है पर धुल नहीं पाती उससे बदबू फिर भी आती है।